गणेश चतुर्थी बहुत ही प्रमुख त्योहार है और पूरे हर्षोल्लास के साथ ये त्योहार पूरे भारत मे मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणपति जी को घर में स्थापित करते हैं और कुछ दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन गणेशजी सिद्धि विनायक रूप में पूजा की जाती है। गणेशजी का ये त्योहार लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं मगर क्या आप जानते हैं कि गणेशजी का जन्म कैसे हुआ था?
एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी तभी उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक बालक को उतपन्न किया और उसी बालक का नाम उन्होंने गणेश रखा। स्नान करने जाने से पहले पार्वती जी ने गणेश को ये आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दें। फिर भगवान शिव उस स्थान पर पहुंचते हैं और अंदर जाने लगते हैं तभी गणपति उन्हें रोकते हैं और कहते हैं कि आप अंदर नहीं जा सकते हैं मेरी मां अंदर स्नान कर रही हैं।
शिवजी ने ये सुनकर गणेशजी को बहुत समझाया कि पार्वती उनकी ही पत्नी है मगर तब भी गणेशजी ने उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी। इस बात पर शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने तुरंत उनकी गर्दन काट दी। फिर शिवजी अंदर चले गए जब पार्वती ने उन्हें अंदर देखा तो वो अचंभित हो गई और बोली आप अंदर कैसे आ गए मैं तो गणेश को बाहर बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहाँ से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी।
तब भगवान विष्णु से शिवजी ने कहा कि ऐसे बच्चे का सिर लाया जाए जिसकी मां बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। फिर बहुत खोज की गई और तब एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी तुरंत उस हाथी के बच्चे का सिर लेकर शिवजी के पास ले जाया गया। फिर भोलेनाथ ने वही हाथी का सिर गणेशजी की गर्दन पर लगा दिया और उन्हें ये वरदान दिया कि हर पूजा में सबसे पहले गणपति जी का ही नाम लिया जाएगा।
गणेश चतुर्थी के दिन क्यों नहीं करने चाहिए चंद्र दर्शन;-
ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से झूठा आरोप लगता है और इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए। इसके पीछे एक कथा है। जब गणेशजी को गज का सर लगाया गया तो उन्होंने अपने माता पिता की परिक्रमा की। सभी देवताओं ने गणेश की स्तुति की मगर चंद्रमा मंद मंद मुस्कुराते रहे क्योंकि उन्हें अपने सौंदर्य पर अभिमान था। इसलिए गणेशजी ने उन्हें काले होने का श्राप दे दिया और कहा कि सूर्य का प्रकाश पाकर चंद्रमा पूर्ण हो जाएगा मगर चतुर्थी के दिन को चंद्रमा के दण्ड के दिन के रूप में याद किया जाएगा। इसीलिए इस दिन चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए।